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रसातळ
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रसातल
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रसातलम्
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زٔمیٖنُک شیٚیُم تَہ
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ରସାତଳ
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పాతాళలోకం
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রসাতল
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ਰਸਾਤਲ
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રસાતલ
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രസാതലം
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ரசவாதம்
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ಪೃಥ್ವಿ
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पाताळ
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सप्त पाताल
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भक्तवत्सलता - अभंग १
संत नामदेवांनी भक्ति-गीते आणि अभंगांची रचना करून समस्त जनता-जनार्दनाला समता आणि प्रभु-भक्तिची शिकवण दिली.
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चतुर्दश
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चर्तुदश
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आदिखंड - विराट देह
सत्कार्योत्तेजक सभा धुळें, महाराष्ट्रधर्मग्रन्थमाला
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विठ्ठलमाहात्म्य - अभंग ६११ ते ६२०
श्रीसंतएकनाथ महाराजांची गाथा म्हणजे श्रीकृष्णाच्या अवताराचे मनोवेधक वर्णन.
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संकेत कोश - संख्या ७
हिंदू धर्मात असे अनेक संकेत आहेत ,जे आपल्या जीवनात मोलाचे कार्य बजावतात .
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विवेकसार - प्रथम वर्णकम्
श्रीमत्परमहंस परिव्राजकाचार्य श्रीमद्रामेन्द्र यांचे शिष्य श्रीमद्वासुदेवेन्द्रस्वामी या सत्पुरूषांनी संस्कृत भाषेत " विवेकसार " गद्यग्रंथ रचला .
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महावाक्यपंचीकरण - शतक चवथे
ऐतिहासिक पुराव्यांनुसार, समर्थ रामदासांनी रचलेल्या दासबोध या ग्रंथाचे लेखनिक कल्याणस्वामी होते.
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अध्याय अठरावा - श्लोक १०१ ते १५०
श्रीधरस्वामी रचित ’ श्रीरामविजय ’ ग्रंथाचे पारायण केल्याने जीवनातील वनवास संपून सुख प्राप्त होते.
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अध्याय सहावा - श्लोक १५१ ते २००
श्रीधरस्वामी रचित ’ श्रीरामविजय ’ ग्रंथाचे पारायण केल्याने जीवनातील वनवास संपून सुख प्राप्त होते.
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सप्त
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श्री नवनाथ भक्तिसार पोथी - अध्याय ६
श्रीनवनाथभक्तिसार ही पोथी अत्यंत श्रेष्ठ असून परमप्रासादिक आहे व साधकाला विधिपूर्वक वाचन केले असता दिव्य अनुभव मिळतो.
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तळ
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स्फुट पदें - पदे १७१ ते १८०
मध्वमुनीश्वरांची कविता
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कथा कल्पतरू - स्तबक १३ - अध्याय ११
'कथा कल्पतरू' या ग्रंथात चार वेद, सहा शास्त्रे, अठरा पुराणे, तसेच रामायण, महाभारत व श्रीमद्भागवत हे हिंदू धर्मिय वाङमय ओवीरूपाने वर्णिलेले आहे.
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श्रीसिध्दान्तबोध - अध्याय १३ वा
‘श्रीसिध्दान्तबोध’ हा संतकवि श्रीशहामुनि यांचा ग्रंथ म्हणजे मराठी वाड्मयाच्या खाणींतील एक तेजस्वी हिरा आहे.
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मूळस्तंभ - अध्याय ६
‘ मूळस्तंभ ’ पोथी म्हणजे शिव- पार्वती संवादरूपातील शिवपुराणावरील शोधनिबंध आहे.
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श्री वेंकटेश विजय - अध्याय ३ रा
वेदव्यासांनी भविष्योत्तर पुराणात वेंकटगिरीचा महिमा सांगितला आहे. या कलियुगात जे कोणी त्यांची भक्ती करतात, त्यांच्या सर्व इच्छा पूर्ण होतात.
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एकनाथी भागवत - श्लोक १२ व १३ वा
नाथमहाराजांचा हा प्रासादिक ग्रंथ परमपूज्य असल्याने यावर भक्तजनांची आदरबुद्धी आहे.
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श्री गणेश प्रताप - क्रीडाखंड अध्याय २३
सर्व कीर्तीने युक्त, सर्व देवाधिदेवांमध्ये श्रेष्ठ अशा अत्यंत प्रिय असलेल्या श्रीगजाननाच्या स्तुतीपर हा ग्रंथ आहे.
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श्री दत्तप्रबोध - अध्याय पंचवीसावा
श्री अनंतसुत विठ्ठल उर्फ कावडीबाबा विरचित ’श्री दत्तप्रबोध’ ग्रंथाचे पारायण केल्याने ’गुरुचरित्र’ पारायणाचे पुण्य मिळते.
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मूळस्तंभ - अध्याय ४
‘ मूळस्तंभ ’ पोथी म्हणजे शिव- पार्वती संवादरूपातील शिवपुराणावरील शोधनिबंध आहे.
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श्रीगुंडामाहात्म्य - अध्याय सहावा
प्रस्तुत ग्रंथ शके १८३६ यावर्षी कै. गुरूभक्त व्यंकटरमणा मच्छावार यांनी प्रसिद्ध केला होता.
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हरिविजय - अध्याय ७
श्रीधरांसारखा भगवंताच्या भक्तिप्रेमात न्हाऊन गेलेला अजोड कवी, गोपालकृष्णाच्या अति गोड लीलांचे वर्णन करतो, तेव्हा काय बहार येते.
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कथाकल्पतरू - स्तबक ६ - अध्याय ४
'कथा कल्पतरू' या ग्रंथात चार वेद, सहा शास्त्रे, अठरा पुराणे, तसेच रामायण, महाभारत व श्रीमद्भागवत हे हिंदू धर्मिय वाङमय ओवीरूपाने वर्णिलेले आहे.
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श्री दत्तप्रबोध - अध्याय पाचवा
श्री अनंतसुत विठ्ठल उर्फ कावडीबाबा विरचित ’श्री दत्तप्रबोध’ ग्रंथाचे पारायण केल्याने ’गुरुचरित्र’ पारायणाचे पुण्य मिळते.
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हरिविजय - अध्याय ३०
श्रीधरांसारखा भगवंताच्या भक्तिप्रेमात न्हाऊन गेलेला अजोड कवी, गोपालकृष्णाच्या अति गोड लीलांचे वर्णन करतो, तेव्हा काय बहार येते.
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७
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